युवाओं ने मांगा रोजगार तो दुष्यंत चौटाला ने शराब बेचने का करवाया इंतजाम ?

 



 युवाओं ने मांगा रोजगार तो दुष्यंत चौटाला ने शराब बेचने का करवाया इंतजाम ? दुष्यंत चौटाला की नई आबकारी नीति हर घर में हो बेवड़ा पति ? मोदी सरकार बेरोजगारों को पकोड़े तलने को कह रहे है और दूसरी तरफ खट्टर दुष्यंत बेरोजगारों शराब बिकवाएगें ? नशे के कमाई से फले-फूलेगी दुष्यंत की खट्टर सरकार? पहले तो युवा चखना बनाने की की तैयारी कर रहे थे अब दुष्यंत ने शराब बेचने का करवाया इंतजाम ? हरियाणा के युवा अब शराब की लगाएगें फड़ियां और बियर बार में बांसर, मार्सल और ठुमके लगाएगें ? नशे में अब होगा हरियाणा नंबर वन ? कुलदीप खंडेलवाल चुनाव से पहले दुष्यंत चौटाला से युवाओं को आशा थी की प्रदेश की राजनीति की नूर युवाओं को रोजगार देकर कोहिनूर बना देगा पर शराब की निती बनाकर दुष्यंत चौटाला युवाओं के निशाने पर आ गया है। सोशल मिडिया पर तरह तरह के आरोप लगाने शुरू कर दिये है। संदीप नैन ने तो यहां तक भड़ास निकाल ली है की दुष्यंत चौटाला राजस्व के लिए नहीं बल्कि खुद के राजस्व की तरफ ध्यान है। ऐसे आरोप तो लगेंगे जब शराब पर ऐसी निती बनेगी। खैर एक बार हम चुनाव से पहले चलते हैं जब दुष्यंत चौटाला हसीन सपने दिखाकर वाह वाही लूट रहा था। 5 सितंबर 2019 को हिसार में कहा था की पांच सालों में हरियाणा में बेरोजगारी बहुत तेजी से बढ़ी है। बेरोजगारी के ताजे आंकड़ें चौकाने वाले हैं और हरियाणा में बेरोजगारी 29 प्रतिशत तक बढ़ गई है। बेरोजगारी की यह दर देश में सर्वाधिक है और प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर प्रदेश के हजारों युवाओं को रोजगार देने का दावा कर रहे हैं। दुष्यंत चौटाला ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से पूछा है कि यदि प्रदेश में उन्होंने हजारों युवाओं को रोजगार दिया है तो फिर प्रदेश बेरोजगारी के अव्वल कैसे हो गया। दुष्यंत ने कहा कि प्रदेश में जेजेपी की सरकार बनने पर युवाओं के रोजगार के पुख्ता प्रबंध किए जाएंगे। निजी क्षेत्र में उद्योगों में हरियाणा के युवाओं के लिए 75 प्रतिशत पद आरक्षित किए जाएंगे। शिक्षण संस्थानों में रोजगार परक पाठ्यक्रम लागू किए जाएंगे जिससे कि युवाओं को रोजी-रोटी के लिए दर-दर भटकना न पड़े। दर दर भटकना से मतलब कहीं दुष्यंत का शराब को लेकर तो नहीं था की जिन युवाओं के ठेके गांव से दूर हैं उनको गांव में ही उपलब्ध हो जाएगी। इस निती को लेकर हर किसी में रोष है तो चुनाव से पहले के घोषणा पत्र की बात कर रहे हैं की कहा था की शराब के ठेके गांव में बंद होंगे पर नई निती के अनुसार हरियाणा में शराब और बीयर सस्ती होने वाली है। राज्य सरकार ने शराब और बीयर पर ड्यूटी कम करने तथा गुड़गांव, फरीदाबाद और पंचकूला में बार का समय रात एक बजे तक बढ़ाया गया है। वर्ष 2020-21 के लिये नई आबकारी नीति स्वीकृति प्रदान की गई, जो एक अप्रैल, 2020 से लागू होगी। बैठक के बाद उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, जिनके पास आबकारी एवं कराधान विभाग का प्रभार भी है, ने संवाददाताओं को सम्बोधित करते बताया कि वर्ष के लिये शराब के ठेकों की संख्या 2500 से बढ़ाकर 2600 की जाएगी और शहरों में ठेके नहीं खोले जाएंगे।*** समारोहों एवं पार्टियों में शराब परोसने के लिए एक दिन के अस्थाई लाइसेंस के लिए फार्म एल-12ए को ऑनलाइन किया जाएगा। शुल्क ढांचे को और तर्कसंगत बनाया गया है। समारोह एवं पार्टियां आयोजित करने वाले वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के लिए स्वयं को आबकारी एवं कराधान विभाग से स्वयं को पंजीकृत कराना अनिवार्य होगा। वाणिज्यिक स्थलों में एल-12ए की लाइसेंस फीस 7500 रुपये निर्धारित की गई है। इसके अतिरिक्त, अपने निजी स्थलों पर शराब परोसने के लिए व्यक्ति को लाइसेंस के लिए अब 500 रुपये के बजाए 1000 रुपये की फीस देनी होगी। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में आईएमएफएल के कोटा 650 लाख प्रूफ लीटर से घटाकर 550 लाख प्रूफ लीटर किया गया है जबकि देसी शराब का कोटा 1050 लाख प्रूफ लीटर ही रहेगा। मंत्री ने बताया कि थोक लाइसेंस एल-1 और एल-13 की लाइसेंस फीस भी तर्कसंगत बनाई गई है। एल-13 लाइसेंसधारकों का कमीशन 10 रुपये से बढ़ाकर 20 रुपये किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सैन्य कर्मियों के लिए रम की छूट के साथ शराब की आपूर्ति पर लैवीज को पंजाब के बराबर रखा गया है। रम पर 99 रुपये प्रूफ लीटर ड्यूटी निर्धारित की गई है, जबकि पंजाब में यह 140 रुपये प्रति प्रूफ लीटर है। इसी प्रकार, मूल स्थान में बोतलबंद आयातित विदेशी शराब की नीति में संशोधन किया गया है। थोक लाइसेंसों की निर्धारित संख्या का प्रावधान समाप्त कर दिया गया है। मूल स्थान में बोतलबंद आयातित विदेशी शराब के थोक लाइसेंस आवेदन पर प्रदान किए जाएंगे। ऐसे लाइसेंसों की संख्या खुली रखी जाएगी और इसके लिए लाइसेंस फीस एक करोड़ रुपये निर्धारित की गई है। मूल स्थान में बोतलबंद आयातित विदेशी शराब पर शुल्क को तर्कसंगत बनाया गया है। मूल स्थान में बोतलबंद आयातित विदेशी शराब(व्हिस्की) पर आकलन शुल्क 250 रुपये प्रति प्रूफ लीटर से कम करके 200 रुपये प्रति प्रूफ लीटर किया गया है। बीयर पर यह शुल्क 100 रुपये प्रति बीएल से घटाकर 70 रुपये प्रति बीएल तथा वाइन पर शुल्क 250 रुपये प्रति बीएल से घटाकर 200 रुपये प्रति बीएल किया गया है। *** उन्होंने कहा कि बार की लाइसेंस फीस भी तर्कसंगत बनाई गई है। पंच सितारा होटलों में एल-4 और एल-5 की लाइसेंस फीस 45 लाख रुपये से घटाकर 25 लाख रुपये, चार सितारा होटलों में बार लाइसेंस फीस 38 लाख रुपये से घटाकर 22.5 लाख रुपये, तीन सितारा होटलों में बार लाइसेंस फीस गुरुग्राम और फरीदाबाद को छोड़कर प्रदेश में 20 लाख रुपये से घटाकर 15 लाख रुपये वार्षिक की गई है। गुरुग्राम में यह फीस 20 लाख रुपये जबकि फरीदाबाद में 17 लाख रुपये वार्षिक, रेस्तरां (गैर सितारा में बार लाइसेंस फीस गुरुग्राम और फरीदाबाद को छोड़कर 12 लाख रुपये से घटाकर 10 लाख रुपये की गई है।*** इसी प्रकार, गुरुग्राम, फरीदाबाद और पंचकूला में बार के लिए बिक्री का समय बढ़ाया गया है। अब इन तीनों शहरों में रात एक बजे तक बार चलाने की अनुमति होगी। इन तीनों जिलों में यह समय 10 लाख रुपये प्रति घंटे की अतिरिक्त लाइसेंस फीस के भुगतान पर दो घंटे के लिए और भी बढ़ाया जा सकता है। तीन सितारा के समान सुविधाओं वाले तथा जिला मुख्यालयों के बाहर स्थापित होटलों में भी बार चलाने की अनुमति होगी।*** **** 4 साल के दौरान नशा करने वाले स्कूली बच्चों की संख्या 12 गुणा बढ़ी ? **** मुस्कराईये आप हरियाणा के दुष्यंत राज में हैं जहां आपको शराब अब घर पर मिलेगी जिसका खतरा ज्यादातर बच्चों को होगा। बच्चे शौंक शौंक में नशा के आदी होते जा रहे हैं। पीजीआई की रिपोर्ट में ख़ुलासा हुआ है कि 4 साल के दौरान नशे के आदि स्कूली बच्चों की तादाद में 12 गुणा बढ़ोत्तरी हुई है। पीजीआई में हुई एक स्टडी के मुताबिक 2016 में 18 नशे के आदि बच्चे इलाज के लिए आए थे, जिनकी उम्र 14 से 19 साल के बीच थी। लेकिन 2019 के आख़रि तक ये आंकड़ा बढ़कर 209 हो गया। करीब 12 गुणा की ये बढ़ोत्तरी पूरे हरियाणा को परेशान करने वाली है। इससे आगे भूपेंद्र सिंह हुड्डा बताते हैं। 20 से 25 साल की उम्र के युवाओं में बढ़ती नशे की लत का भी रिपोर्ट में जि़क्र है। पीजीआई में साल 2016 के दौरान इलाज के लिए 267 युवा आए। 2019 तक ये आंकड़ा बढ़कर 451 हो गया। अब तो शराब घरों तक पहुंच जाएगी जिसका और भी ज्यादा नुकसान होगा। बच्चे और युवा नशा की तरफ ज्यादा भागेगें। **** बिहार में शराबबंदी के बाद अपराध कम हुआ तो सड़क दुघर्टनाओं में भी आई कमी ?**** बिहार में पटना निवासी पत्रकार और लेखक पुष्य मित्र कहते हैं "बिहार में शराबबंदी का असर अच्छा रहा। अब लोगों का शाम ढलते ही नशे में धुत होकर किसी से झगड़ा करना, हंगामा करना, औरतों-लड़कियों को छेड़ना काफी कम हो गया है। नवयुवकों और किशोरों में नशा की प्रवृत्ति अब नहीं नजर आती। हां, कुछ लोग इस कदर आदी हैं कि कहीं न कहीं पर वो अपनी व्यवस्था कर लेते हैं। वो आगे बताते हैं, गरीब लोग नकली शराब बनाने की कोशिश करते हैं, इसलिए कुछ घटनाएं भी हो जाती हैं। यह भी सच है कि शराब की होम डिलीवरी हो रही है। मगर मात्रा काफी कम है। और समझदार लोग ऐसा करने का रिस्क नहीं लेते, क्योंकि एक बार चक्कर में पड़े तो लाखों रुपए खर्च और नौकरी चाकरी पर भी खतरा रहता है। बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद राज्य में अपराध की घटनाओं तथा सड़क दुर्घटनाओं में कमी आई है। आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2016 से अप्रैल 2017 के बीच जिलों के विभिन्न थानों में अपराध के कुल 2,328 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि पिछले साल इतने ही दिनों में 3,178 अपराध के मामले दर्ज हुए थे। पिछले साल की तुलना में 850 कम आपराधिक मामले सामने आए हैं, जो पहले से 27 फीसदी कम है।**** ****जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या देश में तीसरे नंबर पर है हरियाणा ?***** नशे की लत के मामले में हरियाणा की हालत पंजाब से भी ज्यादा खराब है। वन इंडिया वैबसाइट के अनुसार यहां अवैध अथवा जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या देश में तीसरे नंबर पर है। इतना ही नहीं, ड्रग्स के लिहाज से भी यह देश का 5वां सबसे 'सबसे नशीला' राज्य है। वर्ष 2018 में ड्रग्स के कारण यहां 86 लोग मरे थे। यह खुलासा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की रिपोर्ट से हुआ है। एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट गुरुवार को जारी हुई। हालिया रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा नकली शराब के मामले में काफी आगे है। यहां से राजस्थान, गुजरात और यूपी में भी अवैध शराब पहुंचाई जाती रही है। अकेले वर्ष 2018 में नकली शराब के सेवन के चलते हरियाणा में 162 मौतें दर्ज हुईं। यह आंकड़ा देश के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश से भी ज्यादा रहा। यूपी में ऐसे महज 78 केस ही दर्ज किए गए। एक अन्य चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई है कि, अब से पहले तक जो पंजाब नशे की लत के कारण चर्चित था, वो भी हरियाणा से पीछे छूट गया। शराब के कारण पंजाब में हरियाणा से कम कुल 159 मौतें ही दर्ज हुईं। 100 दिन की सरकार भी युवाओं को रोजगार नहीं दे सकी प्रदेश है बेरोजगार में नंबर वन ? सरकार के 100 दिन पुरे होने पर अभी तक खास वैकेंसी नहीं निकाली गई है की बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिल सके और ना ही कंपनियों के लिए ऐसी निती बनी है की वहां रोजगार मिल सके। हरियाणा रोजगार के मामले में पिछड़ चुका है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (CMIE) ने बेरोजगारी के आंकड़े जारी किए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक, हरियाणा में बेरोजगारी सबसे ज्यादा है। इसके बाद हिमाचल प्रदेश, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश का नंबर आता है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) की मई-अगस्त की एक रिपोर्ट का ही हवाला देते हुए स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव कहते हैं कि राज्य में बेरोजगारों का आंकड़ा 20 लाख पार कर गया है। योगेंद्र का कहना है कि ‘‘हरियाणा में बेरोजगारी ने महामारी का रूप ले लिया है। शराब के कारण महिलाओं के साथ होते हैं 70 से 85 प्रतिशत अपराध और 1286 महिलाएं हुई बलात्कार का शिकार ? शराब और उससे उत्पन्न होने वाला जोखिम है तो हम यहां कुछ आंकड़े भी प्रस्तुत करना चाहेंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ ) द्वारा 2014 में शराब की खपत पर पेश की गयी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 30 प्रतिशत लोग शराब का सेवन करते हैं जिसमें से 11 प्रतिशत लोग हद से ज्यादा शराब पीते हैं। अब अगर बात शराब की सालाना खपत पर की जाए तो एक औसत भारतीय एक साल में 4.3 लीटर और एक ग्रामीण भारतीय 11.4 लीटर शराब पीता है। शराब से हुई मौतों पर चर्चा की जाये तो डब्लूएचओ के आंकड़ों के अनुसार 2014 तक 3.3 मिलियन लोग शराब पीने से मर चुके हैं। ध्यान रहे कि सिर्फ शराब पीने से ही 2009 में हुए एक हादसे में गुजरात में 136 और 2015 में महाराष्ट्र में 94 लोग मर चुके हैं तो उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में शराब पीने के चलते हुई 18 लोगों की मौत हमारे सामने है। अब तक हम डब्लूएचओ के आंकड़ों को आधार बनाकर बात कर रहे हैं अब हम आपको राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के डाटा से अवगत कराएंगे जो निश्चित तौर पर आपको हैरत में डाल देगा। एनसीआरबी के डाटा के अनुसार महिलाओं के साथ होने वाले 70 से 85 प्रतिशत अपराधों में कहीं न कहीं शराब या उसके प्रभावों का हाथ होता है। 2015 में एनसीआरबी द्वारा कराए गए एक सर्वे के अनुसार केवल 2014 में 2026 महिलाओं का यौन शोषण हुआ, 1423 महिलाओं के अपरहण का मामला प्रकास में आया, 1286 महिलाएं बलात्कार का शिकार हुईं साथ ही 11,206 महिलाओं ने हिंसा और अपराध को किसी न किसी रूप में देखा. इस पूरे सर्वे की खास बात ये थी कि इन सभी मामलों में शराब सक्रिय रूप से जुड़ी हुई है शराब के सेवन से कोई मरता है तो मुख्यमंत्री और मंत्री पर हो केस दर्ज ? शराब की बोतल से लेकर पान मसाले की पुडिया और सिगरेट के रैपर पर एक वैधानिक चेतावनी देखने को मिलती है जिसमें इसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानते हुए मौत का कारण माना गया है. इनको खा पीकर लोगों का मरना आम बात हो गयी है और इस पूरे प्रकरण में सरकार की नाक के नीचे इनका विक्रय इस बात की ओर साफ इशारा करता है कि सरकार को लोगों की मौत से कोई मतलब नहीं है और उसे बस अपने भारी राजस्व की चिंता है। जिस तरह शराब बेचीं जा र है कि सरकार को जनता सरकारें इस बात को बेहतर ढंग से जानती हैं कि यदि उन्होंने शराब या उन उत्पादों के इस्तेमाल और उनके क्रय - विक्रय पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया तो उन्हें भारी नुकसान होगा. अब प्रश्न उठता है कि चूंकि ये सब सरकार की अगुवाही में हो रहा है और इससे लोग मर रहे हैं तो क्या इन मौतों की जिम्मेदार सरकार है ? अगर उत्तर प्रदेश, कर्नाटक या मध्य प्रदेश में शराब के सेवन से कोई मरता है तो क्या वहां के मुख्यमंत्री को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए क्या उस मौत पर उस राज्य के शासक पर 302 का मुकदमा दर्ज होना चाहिए? बात बहुत सीधी सी है जिस तरह गुड टेररिज्म बैड टेररिज्म जैसा कुछ नहीं होता वैसे ही नशे में भी नहीं होता. कोई नशा न अच्छा होता है न बुरा नशा बस नशा होता है. यदि सरकार शराब, पान मसाले और सिगरेट को वैधानिक चेतावनी के साथ बेच सकती है तो फिर उसे चरस, गांजे, भांग, कोकेन, हेरोइन, ब्राउन शुगर जैसी चीजों को भी खुले बाजार में बेचना चाहिए. क्यों सरकार इनके बेचने पर इतना हो हल्ला मचाती है। प्रशासन कार्यवाही ना करें तो मंत्री को दोषी मानते हुए कोर्ट के सामने हो हाजिर ? आखिर आज तक उसने उन 33 लाख परिवारों के साथ क्या किया जिन्होंने शराब के चलते अपनी जान गंवाई है। हो सकता है इस बात से आप असहमत हों मगर सत्य यही है कि प्रत्येक नागरिक के लिए सरकार ही जिम्मेदार है। शराब पीने से मरता तो केवल एक व्यक्ति है मगर अब तक हमने कभी उन बिन्दुओं पर नहीं सोचा कि आखिर उस परिवार का क्या होता होगा जिसने एक बुरी लत के चलते किसी अपने को खोया है। शराब से या फिर उसके प्रभाव से हुई मौतों पर हम यही कहेंगे कि अगर सरकार इन मौतों पर अपना रुख साफ नहीं कर सकती है तो फिर उसे अपने को इन मौतों का दोषी मानते हुए कोर्ट के सामने हाजिर हो जाना चाहिए और ये कबूल कर लेना चाहिए कि इन मौतों पर उसकी जिम्मेदारी है। अंत में हम यही कहेंगे कि यदि सरकार वाकई लोगों के लिए गंभीर है तो फिर उसे शराब से लेकर हेरोइन कोकेन तक किसी भी तरह के नशे पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए और ये मान लेना चाहिए कि नशा सिर्फ नशा है इसमें अच्छा बुरा कुछ नहीं है और इससे विकास न होकर केवल विनाश ही होता है। अब इसी नशा को हरियाणा सरकार नई निती से फैला रही है। ऐसे में बड़ा खतरनाक माहौल महिलाओं के लिए पैदा हो सकता है। सरकार की किरकरी होते देख क्या सरकार अपना फैसला बदलेगी या नहीं यह तो आने वाला समय